हरियाली तीज श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। यह त्यौहार नाग पंचमी के दो दिन पहले मनाया जाता है। यह महिलाओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस दिन शिव- पार्वती जी की पूजा और व्रत का विधान है। शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसे छोटी तीज या श्रवण तीज के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली तीज
उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। खास तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की महिलाओं में विशेष उत्साह देखने को मिलता है।
हरियाली तीज पूजा विधि (Hariyali Teej Puja vidhi in Hindi)
हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान तथा मिठाइयां ससुराल में भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं प्रातः गृह कार्य व स्नान आदि के बाद सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा देवी पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा होती है।
पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं माता पार्वती से पति के लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य किए जाते है। इस दिन झूला -झूलने का भी रिवाज है।
हरियाली तीज से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य (Facts of Hariyali Teej Puja in Hindi)
मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। अच्छे वर की मनोकामना से इस दिन अविवाहित कन्याएं भी व्रत रखती हैं। कई जगह इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी का जुलूस भी निकाला जाता है।